फिर किसी याद ने रातभर है जगाया मुझको,
क्या सजा दी है मोहब्बत ने खुदाया मुझको,
दिन को आराम है ना रात को है चैन कभी,
जाने किस खाक से कुदरत ने बनाया मुझको,
दुख तो ये है कि जमाने में मिले गैर सभी,
जो मिला है वो मिला पराया मुझको,
जब कोई भी ना रहा कांधा मेरे रोने को,
घर की दीवारों ने सीने से लगाया मुझको,
बेवफा जिंदगी ने जब छोड़ दिया है तनहा,
मौत ने प्यार से पहलू में बिठाया मुझको,
वो दीया हूं जो मोहब्बत ने जलाया था कभी,
गम की आंधी ने सुबह और शाम बुझाया मुझको,
कैसे भुलूंगा तेरे साथ गुजारे लम्हें,
याद आता रहा जुल्फों का ही साया मुझको।
क्या सजा दी है मोहब्बत ने खुदाया मुझको,
दिन को आराम है ना रात को है चैन कभी,
जाने किस खाक से कुदरत ने बनाया मुझको,
दुख तो ये है कि जमाने में मिले गैर सभी,
जो मिला है वो मिला पराया मुझको,
जब कोई भी ना रहा कांधा मेरे रोने को,
घर की दीवारों ने सीने से लगाया मुझको,
बेवफा जिंदगी ने जब छोड़ दिया है तनहा,
मौत ने प्यार से पहलू में बिठाया मुझको,
वो दीया हूं जो मोहब्बत ने जलाया था कभी,
गम की आंधी ने सुबह और शाम बुझाया मुझको,
कैसे भुलूंगा तेरे साथ गुजारे लम्हें,
याद आता रहा जुल्फों का ही साया मुझको।
4 comments:
Wow.... what a writter... nice poem...good .. i really like your blog Deepak. please keep update it..
wah bhai wah... jhama jham kar di... maje aa gaye...
nice poem boss.... keep update blog...
Hi.......
I'm sohan chaudhary{MCA}
Nice poem & i hope u r good writer. plz keep update it.
you are very sweet & birlient persen pls gueu manter dede bhai
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