Wednesday, January 19, 2011

........ ज़माने बीत जाते हैं

कभी नजरें मिलाने में जमाने बीत जाते हैं,
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं|
किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में  ज़माने बीत जाते हैं |
कभी काली गहरी रात हमें एक पल की लगती है,
कभी एक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं |
कभी खोला दरवाजा खड़ी थी सामने मंजिल,
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं |
एक पल में टूट जाते हैं, उम्र भर के वो रिश्ते,
वो रिश्ते, जिन्हें बनाने में ज़माने बीत जाते हैं |

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