Saturday, March 19, 2011

आज फिर वही होली आई है...

अबीर की उड़ती खुशबु नें, गुलाल के उड़ते बादल नें,
उस सुर्ख चिलमन की याद दिलाई है|
की देख यारा देख, आज फिर वही होली आई है |
हरा  रंग है, लाल रंग है, कुछ पीला, कुछ  श्याह रंग है,
रंगों को लेकर मुट्ठी में, आज फिर वही टोली आई है,
की देख यारा देख, आज फिर वही होली आई है |
वही नशा है, वही सुरूर है, वही अदा है, वही गुरूर है,
उड़ते रंगों की माला नें, फिर तेरी झलक दिखाई है,
की देख यारा देख, आज फिर वही होली आई है |
खाली है वो पल मेरा, जिस पल में तेरा जाना था,
पूँछ रही थी मेरी आँखें, और तेरा वही बहाना था,
अब रंगों से भरा मेरा आँचल, आँखों में घूम रहा वो पल,
रंगों से मलते हाथों नें, उस पल की याद दिलाई है,
की देख यारा देख, आज फिर वही होली आई है | 

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