जब करनी होती हैं ख़ुद से बाते तो मैं कुछ लफ्ज़ यूँ दिल से कहता हूँ ..
ज़रा रफ़्ता रफ़्ता चल ए नादाँ ज़िंदगी...
कि यह समा या फ़िज़ा ना बदल जाए...
अभी तो आई है मेरे दर पे ये ख़ुशी की लहर ...
की कहीं ये तेरी तेज़ रफ़्तार से ना डर जाए!!
:- दीपक प्रधान
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