कर गया दर्द फिर बेहाल मुझे ॥
जब भी आया तेरा ख्याल मुझे ॥
वो मुझे अब तो और ही लगता ।
जो था मेरा ही खुद सवाल मुझे ॥
मैं जिसे ढूँढता रहा हूँ सदा ।
पास रह कर करे मुहाल मुझे ॥
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का कुछ भी नहीं ।
मौत से ये रहा मुलाल मुझे ॥
साथ तेरे हैं दोस्तों ने कहा ।
पर हक़ीकत करे बेहाल मुझे ॥
फिर तो " दीपक " दर्द बढ़ ही गया ।
उसने पुछा जो हाल-चाल मुझे ॥
: दीपक
जब भी आया तेरा ख्याल मुझे ॥
वो मुझे अब तो और ही लगता ।
जो था मेरा ही खुद सवाल मुझे ॥
मैं जिसे ढूँढता रहा हूँ सदा ।
पास रह कर करे मुहाल मुझे ॥
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का कुछ भी नहीं ।
मौत से ये रहा मुलाल मुझे ॥
साथ तेरे हैं दोस्तों ने कहा ।
पर हक़ीकत करे बेहाल मुझे ॥
फिर तो " दीपक " दर्द बढ़ ही गया ।
उसने पुछा जो हाल-चाल मुझे ॥
: दीपक
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